Friday 11 September 2015

तुलसीदास की रचनाएँ

अपने दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित काल जयी ग्रन्थों की रचनाएं कीं – रामललानहछू, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, जानकी-मंगल, रामचरितमानस, सतसई, पार्वती-मंगल, गीतावली, विनय-पत्रिका, कृष्ण-गीतावली, बरवै रामायण, दोहावली और कवितावली (बाहुक सहित)। इनमें से रामचरितमानस, विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली जैसी कृतियों के विषय में यह आर्षवाणी सही घटित होती है – “”पश्य देवस्य काव्यं, न ममार न जीर्यति।

गोस्वामी तुलसीदास की प्रामाणिक रचनाएं लगभग चार सौ वर्ष पूर्व गोस्वामी जी ने अपने काव्यों की रचना की। आधुनिक प्रकाशन-सुविधाओं से रहित उस काल में भी तुलसीदास का काव्य जन-जन तक पहुंच चुका था। यह उनके कवि रुप में लोकप्रिय होने का प्रमाण है। मानस के समान दीर्घकाय ग्रंथ को कंठाग्र करके सामान्य पढ़े लिखे लोग भी अपनी शुचिता एवं ज्ञान के लिए प्रसिद्ध हो जाने लगे थे।


रामचरितमानस गोस्वामी जी का सर्वाति लोकप्रिय ग्रंथ रहा है। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं के सम्बन्ध में कही उल्लेख नहीं किया है, इसलिए प्रामाणिक रचनाओं के संबंध में अंतस्साक्ष्य का अभाव दिखाई देता है। नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित ग्रंथ इसप्रकार हैं :

१ रामचरितमानस२ रामललानहछू३ वैराग्य-संदीपनी४ बरवै रामायण५ पार्वती-मंगल६ जानकी-मंगल७ रामाज्ञाप्रश्न८ दोहावली९ कवितावली१० गीतावली११ श्रीकृष्ण-गीतावली१२ विनयपत्रिका१३ सतसई१४ छंदावली रामायण१५ कुंडलिया रामायण१६ राम शलाका१७ संकट मोचन१८ करखा रामायण१९ रोला रामायण२० झूलना२१ छप्पय रामायण२२ कवित्त रामायण२३ कलिधर्माधर्म निरुपण

एनसाइक्लोपीडिया आफ रिलीजन एंड एथिक्स में ग्रियसन महोदय ने भी उपरोक्त प्रथम बारह ग्रंथों का उल्लेख किया है।

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