हिन्दी साहित्य
- आदिकाल
- रीतिकाल
- भक्तिकाल
- आधुनिक काल
आदिकाल :
आदिकाल सन 1000 से 1325 तक हिंदी साहित्य के इस युग को आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने वीर गाथा काल नाम दिया है इसका चारण-काल, सिद्ध-सामंत काल और अन्य नाम से भी उल्लेख किया जाता है। इस समय का साहित्य मुख्यतः इन रूपों में मिलता है : सिध्द-साहित्य, नाथ-साहित्य, जैन साहित्य, चारणी-साहित्य, प्रकीर्णक साहित्य।
- आदिकाल : परिचय
- आदिकाल की विशेषताएं
- आदिकाल के नामकरण की समस्या
- आदिकाल की उपलब्धियाँ
- सिद्ध साहित्य
- नाथ साहित्य
- रासो काव्य : वीरगाथायें
- जैन साहित्य की रास परक रचनायें
- अमीर खुसरो
- विद्यापति
- चंदबरदाई
- जगनिक का आल्हाखण्ड
- दामोदर पंडित – उक्ति व्यक्तिप्रकरण
- ढोला मारू रा दूहा
-
रीतिकाल :
इस युग को रीतिकाल इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसमें काव्य-रीति पर अधिक विचार हुआ है इस काल में कई कवि ऐसे हुए हैं जो आचार्य भी थे और जिन्होंने विविध काव्यांगों के लक्षण देने वाले ग्रंथ भी लिखे। इस युग में श्रृंगार की प्रधानता रही।
- भक्तिकाल :
- भक्ति काल
- संत कवि
- प्रेमाश्रयी काव्य के कवि
- रामभक्त कवि
- कृष्णभक्त कवि
- सगुण का अर्थ
- निर्गुण काव्यधारा
- कृष्ण भक्ति काव्यधारा की प्रमुख विशेषतायें
- भक्ति आंदोलन
- भक्ति आंदोलन : रामचँद्र शुक्ल
- मुक्तिबोध का भक्ति आंदोलन
- भक्ति आन्दोलन की पुनर्व्याख्या
- भक्ति:उद्भव एवं विकास
- वल्लभाचार्य
- कबीर
- महात्मा कबीर का जन्म–काल
- कबीर कालीन राजनैतिक परिस्थितियाँ
- कबीर:तत्कालीन सामाजिक परिस्थिति
- कबीर का साहित्यिक परिचय
- कबीर साहित्य: कबीर चिंतन
- कबीर : एक सांप्रदायिक विश्लेषण
- कबीर : एक सामाजिक विश्लेषण
- कबीर : एक आध्यात्मिक विश्लेषण
- कबीर और आधुनिक सांप्रदायिक स्थिति
- कबीर का ब्राह्मण व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह
- कबीर:गुरु भक्ति
- कबीर भक्ति की साधना
- कबीर की प्रेम साधना
- कबीर का प्रभाव
- साखी में संत कबीर
- कबीर की साखी-1
- कबीर की साखी-2
- राम नाम का मरम है आना
- जायसी
- आदिकाल : परिचय
- आदिकाल की विशेषताएं
- आदिकाल के नामकरण की समस्या
- आदिकाल की उपलब्धियाँ
- सिद्ध साहित्य
- नाथ साहित्य
- रासो काव्य : वीरगाथायें
- जैन साहित्य की रास परक रचनायें
- अमीर खुसरो
- विद्यापति
- चंदबरदाई
- जगनिक का आल्हाखण्ड
- दामोदर पंडित – उक्ति व्यक्तिप्रकरण
- ढोला मारू रा दूहा
रीतिकाल :
- अन्य भक्तकवि
- आधुनिक काल :
हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।
- आधुनिक काल – पद्य
- आधुनिक काल का परिचय
- भारतेन्दु युग या नवजागरण काल
- भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि
- द्विवेदी युग या जागरण सुधार काल
- द्विवेदी युग के प्रमुख कवि
- छायावादी युग
- प्रमुख छायावादी कवि प्रगतिवाद
- प्रमुख प्रगतिवादी कवि
- प्रयोगवाद
- प्रमुख प्रयोगवादी कवि
- नई कविता तथा इसके कवि
- आधुनिक काल के प्रमुख कवि
- मैथिलीशरण गुप्त
- बालकॄष्ण शर्मा ‘नवीन‘
- सुभद्राकुमारी चौहान
- माखनलाल चतुर्वेदी
- दिनकर
- नागार्जुन
- अज्ञेय
- मुक्तिबोध
- छायावाद के आधार स्तंभ
- जयशंकर प्रसाद
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘
- महादेवी वर्मा
- सुमित्रानंदन पंत
- आधुनिक काल की प्रमुख कवितायें
- निःशस्त्र सेनानी
- नदी के द्वीप
- वीरों का कैसा हो बसंत
- झाँसी की रानी की समाधि पर
- कैदी और कोकिला
- सखि वे मुझसे कह कर जाते
- कुकुरमुत्ता
- राम की शक्ति पूजा
- अकाल और उसके बाद
- कुरुक्षेत्र
- ब्रह्मराक्षस
- चिंता – कामायनी
- लज्जा-कामायनी
- श्रद्धा – कामायनी
- आधुनिक काल – गद्य की अन्य विधाएं
- आधुनिक गद्य साहित्य का इतिहास
- रेखाचित्र
- संस्मरण
- जीवनी
- आत्मकथा
- डायरी
- रिपोर्ताज
- यात्रा वृत्तांत
- पत्र
- नाटक
- हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास
- १नाट्यभाषा २ नाट्य-समीक्षा
- जयशंकर प्रसाद- स्कंदगुप्त
- मोहन राकेश- आषाढ़ का एक दिन
- भारतेंदु- भारत दुर्दशा
- निबंध
- हिन्दी निबंध का इतिहास
- रामचँद्र शुक्ल- कविता क्या है?
- श्रद्धा और भक्ति
- बालकॄष्ण भट्ट- साहित्य जनसमूह के हॄदय का विकास है
- हजारीप्रसाद द्विवेदी – कुटज
- अज्ञेय- संवत्सर
- कुबेरनाथ राय- उत्तराफाल्गुनी के आसपास
- उपन्यास
- हिन्दी उपन्यास का उद्भव और विकास
- उपन्यास और यथार्थवाद
- प्रेमचंद – गोदान: कथावस्तु, चरित्रांकन यथार्थवाद, रचनादॄष्टि, भाषा-शिल्प महाकाव्यात्मकता,
- समकालीनता
- यशपाल– दिव्या
- मन्नू भंडारी– महाभोज
- अज्ञेय शेखर-एक जीवनी
- रेणु– मैला-आँचल
- कहानी
- हिन्दी कहानी का इतिहास
- उषा प्रियंवदा – वापसी
- महादेवी वर्मा – लछमा(रेखाचित्र)
- प्रेमचंद – बड़े घर की बेटी, कफ़न, ईदगाह,सभ्यता का रहस्य, ठाकुर का कुआँ,अलग्योझा पूस की रात
- समानान्तर कहानियाँ – राजेन्द्र यादव
- आलोचना
- हिन्दी आलोचना का इतिहास
- समीक्षा के सिद्धांत
- आचार्य रामचँद्र शुक्ल
- हजारीप्रसाद द्विवेदी
- रामविलास शर्मा
- डाँ. नगेन्द्र
- प्रमुख आलेख
- भाषा गणना के जार्ज ग्रियर्सन
- हिन्दी उपन्यासों में नारी
- महिला लेखन
- हिन्दी साहित्य : ‘स्व’ तथा ‘पर’
- हिन्दी साहित्य पर बाह्य प्रभाव
- साहित्य में राष्ट्रीयता का उद्भव
- समकालीन हिन्दी कहानिया:स्त्री जीवन
- आधुनिक काव्य-आलोचना की अवधारणा
- समकालीन कथा साहित्य
- हिन्दी साहित्य में नारी के बदलते रूप
- भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा
- राजभाषा नीति, नियम तथा अधिनियम
- भक्ति आन्दोलन की पुनर्व्याख्या
- हिन्दी भाषा और साहित्य
- आधुनिक काल – पद्य
- आधुनिक काल का परिचय
- भारतेन्दु युग या नवजागरण काल
- भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि
- द्विवेदी युग या जागरण सुधार काल
- द्विवेदी युग के प्रमुख कवि
- छायावादी युग
- प्रमुख छायावादी कवि प्रगतिवाद
- प्रमुख प्रगतिवादी कवि
- प्रयोगवाद
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- नई कविता तथा इसके कवि
- आधुनिक काल के प्रमुख कवि
- मैथिलीशरण गुप्त
- बालकॄष्ण शर्मा ‘नवीन‘
- सुभद्राकुमारी चौहान
- माखनलाल चतुर्वेदी
- दिनकर
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- अज्ञेय
- मुक्तिबोध
- छायावाद के आधार स्तंभ
- जयशंकर प्रसाद
- सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला‘
- महादेवी वर्मा
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- अज्ञेय- संवत्सर
- कुबेरनाथ राय- उत्तराफाल्गुनी के आसपास
- उपन्यास
- हिन्दी उपन्यास का उद्भव और विकास
- उपन्यास और यथार्थवाद
- प्रेमचंद – गोदान: कथावस्तु, चरित्रांकन यथार्थवाद, रचनादॄष्टि, भाषा-शिल्प महाकाव्यात्मकता,
- समकालीनता
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- महादेवी वर्मा – लछमा(रेखाचित्र)
- प्रेमचंद – बड़े घर की बेटी, कफ़न, ईदगाह,सभ्यता का रहस्य, ठाकुर का कुआँ,अलग्योझा पूस की रात
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- राजभाषा नीति, नियम तथा अधिनियम
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